अधिकार (Rights), अधिकार की विशेषताएं ,अधिकारों की प्रकृति (Nature of Rights), अधिकारों के प्रकार (Types of Rights),अधिकारों के संबंध में विद्वानों के मत


अधिकार (Rights)


अधिकार व्यक्ति को कानून या राज्य द्वारा प्राप्त वह स्वतंत्रता या शक्ति है  जो उसे अपने जीवन को गरिमा, सुरक्षा और स्वतंत्रता के साथ जीने का अवसर प्रदान करती है , ताकि वे अपने व्यक्तित्व और जीवन का विकास कर सकें।

लास्की (Harold J. Laski) के अनुसार 

👉 "अधिकार वे शर्तें हैं, जो समाज के उस सदस्य को प्रदान की जाती हैं, जिससे वह अपने व्यक्तित्व का सर्वश्रेष्ठ विकास कर सके।"


अर्नेस्ट बार्कर के अनुसार 

"अधिकार व्यक्ति के व्यक्तित्व के सर्वोच्च विकास की बाह्य परिस्थिति है ।"


टी एच ग्रीन के अनुसार 

“अधिकार वह स्वतंत्रता है जो समाज व्यक्ति को उसके नैतिक विकास के लिए प्रदान करता है।”


अधिकार की विशेषताएं 


1. अधिकारों का प्रयोग कानून की सीमा में होता है।

2. समाज से संबंधित अधिकार केवल सामाजिक जीवन में ही सार्थक होते हैं।

3. किसी का अधिकार वहीं तक है जहाँ से दूसरे के अधिकार का उल्लंघन न हो।

4. सभी नागरिकों को  कानून द्वारा समान अधिकार प्राप्त होते हैं।

5. अधिकार और कर्तव्य एक-दूसरे के पूरक हैं।



अधिकारों की प्रकृति (Nature of Rights)



1. नकारात्मक अधिकार (Negative Rights)

नकारात्मक अधिकार वे हैं जिनमें राज्य या अन्य व्यक्ति से हस्तक्षेप न करने की मांग की जाती है। अर्थात  व्यक्ति चाहता है कि उसके कुछ कार्यों में कोई दखल न दे।

इनमें राज्य का भूमिका निष्क्रिय (passive) होती है एवं 

व्यक्ति को अपने कार्य स्वतंत्र रूप से करने की आज़ादी मिलती है।


उदाहरण:

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार , धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार , निजता का अधिकार, संपत्ति रखने का अधिकार, जीवन का अधिकार। 


🟩 2. सकारात्मक अधिकार (Positive Rights)

सकारात्मक अधिकार वे हैं जिनमें व्यक्ति को कुछ करने या पाने के लिए राज्य से सहायता या सुविधा की अपेक्षा की जाती है । इनमें राज्य की सक्रिय (active) भूमिका होती है। इनका उद्देश्य सामाजिक और आर्थिक न्याय सुनिश्चित करना है।


उदाहरण:

शिक्षा का अधिकार ,रोजगार का अधिकार, स्वास्थ्य का अधिकार, सामाजिक सुरक्षा का अधिकार।


अधिकारों के प्रकार (Types of Rights)


🟩 1. प्राकृतिक अधिकार (Natural Rights)

ये अधिकार मनुष्य को जन्म से ही प्राप्त होते हैं। इन्हें कोई सरकार या समाज नहीं देता। ये सार्वभौमिक और अहरणीय (छीने न जा सकने वाले) माने जाते हैं। इन अधिकारों का निर्माण राज्य ने नहीं किया अपितु राज्य की स्थापना इन अधिकारों की रक्षा के लिए हुई है। 

उदाहरण:  जॉन लॉक ने जीवन का अधिकार, स्वतंत्रता का अधिकार, संपत्ति का अधिकार को प्राकृतिक अधिकार माना है । 

🔹 डेविड जार्ज रिची ने अपनी पुस्तक "Natural Rights: A criticism of some political and ethical conceptions "   में प्राकृतिक अधिकार की आलोचना इस आधार पर की, कि प्राकृतिक शब्द को परिभाषित करना कठिन है ।


🟩 2. कानूनी अधिकार (Legal Rights)

ये अधिकार राज्य या संविधान द्वारा दिए जाते हैं। यह प्राकृतिक अधिकारों के विपरीत है, इन अधिकारों का स्त्रोत प्रकृति या ईश्वर नही बल्कि कानून है। यदि इनका उल्लंघन होता है तो व्यक्ति अदालत में न्याय प्राप्त कर सकता है।

जेरेमी बैंथम के अनुसार, अधिकार केवल कानून का परिणाम है, विधि के बिना कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने कानूनी अधिकार का समर्थन किया था।


उदाहरण: संपत्ति का अधिकार, अनुबंध का अधिकार, शिक्षा का अधिकार।


🟩 3. नैतिक अधिकार (Moral Rights)

ये नैतिकता और सदाचार पर आधारित होते हैं। इन्हें कानून द्वारा लागू नहीं किया जा सकता, परंतु समाज में इनका सम्मान किया जाता है।

उदाहरण: माता-पिता का अपने बच्चों से सम्मान पाने का अधिकार।


👉।  रोनाल्ड ड्वर्किन (Ronald Dworkin) ने  अपनी पुस्तक "Taking Rights Seriously" (1977) में यह वर्णन किया है कि अधिकार केवल कानून पर आधारित नहीं होते, बल्कि नैतिक सिद्धांतों पर भी आधारित होते हैं।


🟩 4. नागरिक अधिकार (Civil Rights)

ये अधिकार व्यक्ति को समाज में समानता, स्वतंत्रता और सम्मानपूर्वक जीने की सुविधा देते हैं। ये अधिकार नागरिकों को मनमानी, अन्याय और शोषण से सुरक्षा प्रदान करते हैं।

 इनका उद्देश्य व्यक्ति को समाज में समान दर्जा देना है।

इन अधिकारों की रक्षा कानून और न्यायालय द्वारा की जाती है। ये अधिकार लोकतांत्रिक शासन की नींव हैं।


उदाहरण: अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, समानता का अधिकार, निजता का अधिकार, न्याय प्राप्त करने का अधिकार।


🟩 5. राजनीतिक अधिकार (Political Rights)

ये अधिकार नागरिकों को शासन में भाग लेने का अवसर देते हैं। इन अधिकारों के माध्यम से नागरिक अपने शासकों का चुनाव करते हैं, सरकार की नीतियों पर प्रभाव डालते हैं और लोकतंत्र को सशक्त बनाते हैं। ये अधिकार लोकतांत्रिक प्रणाली की आधारशिला हैं। इन अधिकारों के प्रयोग से नागरिक जन-शक्ति (People’s Power) को अभिव्यक्त करते हैं।

उदाहरण: मतदान का अधिकार, चुनाव लड़ने का अधिकार, जनमत प्रकट करने का अधिकार, लोक सेवाओं में भाग लेने का अधिकार आदि।


🟩 6. आर्थिक अधिकार (Economic Rights)

आर्थिक अधिकार वे अधिकार हैं जो व्यक्ति को जीविका चलाने, आर्थिक सुरक्षा प्राप्त करने और सम्मानपूर्वक जीवन जीने का अवसर प्रदान करते हैं। इनका उद्देश्य समाज में आर्थिक समानता और न्याय स्थापित करना है।

ये व्यक्ति की रोज़गार, संपत्ति और जीवन-निर्वाह की आवश्यकताओं से संबंधित होते हैं।आर्थिक अधिकार सामाजिक न्याय और कल्याणकारी राज्य की नींव हैं।


उदाहरण: काम करने का अधिकार, उचित मजदूरी पाने का अधिकार, संपत्ति रखने का अधिकार,आराम और अवकाश का अधिकार।


🟩 7. सामाजिक अधिकार (Social Rights)

ये अधिकार व्यक्ति को समाज में सम्मानपूर्वक जीवन जीने की सुविधा देते हैं। इन अधिकारों का उद्देश्य समाज में भेदभाव को समाप्त करना और सामाजिक न्याय की स्थापना करना है। इन अधिकारों से समाज में भाईचारा, सहयोग और समानता की भावना बढ़ती है। 



उदाहरण: शिक्षा का अधिकार, स्वास्थ्य का अधिकार, सामाजिक सुरक्षा का अधिकार, जाति, लिंग या धर्म के आधार पर भेदभाव से मुक्ति का अधिकार, समान अवसर का अधिकार (Right to Equality of Opportunity)


🟩 8. सांस्कृतिक अधिकार (Cultural Rights)

ये अधिकार व्यक्ति या समूह को अपनी संस्कृति, भाषा, परंपराओं और जीवन-शैली को सुरक्षित रखने तथा विकसित करने की स्वतंत्रता प्रदान करते हैं। 

इनका उद्देश्य विभिन्न संस्कृतियों के लोगों के बीच आपसी सम्मान और सह-अस्तित्व बनाए रखना है। सांस्कृतिक अधिकार समाज में विविधता और एकता दोनों को सशक्त बनाते हैं।


उदाहरण: अपनी भाषा, धर्म और रीति-रिवाजों का पालन करने का अधिकार। अपनी कला, संगीत और साहित्य को विकसित करने का अधिकार।  






अधिकारों के संबंध में विद्वानों के मत 


हेराल्ड जोसफ लास्की (Harold J. Laski) : 

उनके अनुसार अधिकार समाज की देन हैं, न कि जन्मजात। व्यक्ति अपने अधिकारों का उपयोग केवल समाज में रहकर ही कर सकता है। उन्होंने कहा कि अधिकारों का उद्देश्य व्यक्ति के सर्वांगीण विकास को सुनिश्चित करना है।

🔹उनके अनुसार अधिकार और कर्तव्य परस्पर पूरक हैं — जहाँ अधिकार हैं, वहाँ कर्तव्य भी हैं। उन्होंने माना कि राज्य का प्रमुख कार्य नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करना और उन्हें सामाजिक-आर्थिक सुरक्षा प्रदान करना है।

🔹 उन्होंने राजनीतिक अधिकारों के साथ साथ आर्थिक एवं सामाजिक अधिकारों पर भी बल दिया है । 



टी एच ग्रीन(Thomas hill Green) : 

इन्होंने प्राकृतिक अधिकारों का खंडन किया ,एवं मात्र कानूनी अधिकारों की संकल्पना का भी खंडन किया । इनके अनुसार अधिकार नैतिक स्वतंत्रता हैं, जिन्हें समाज व्यक्ति के नैतिक उत्थान और कल्याण के लिए प्रदान करता है।




महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर 


👉प्र.1. अधिकार किसे कहते हैं?

. अधिकार वे स्वतंत्रताएँ या शक्तियाँ हैं जो व्यक्ति को समाज या राज्य द्वारा इस उद्देश्य से दी जाती हैं कि वह स्वतंत्र, समान और सम्मानपूर्वक जीवन जी सके।


👉 प्र.2. टी. एच. ग्रीन के अनुसार अधिकार की परिभाषा लिखिए।

. ग्रीन के अनुसार “अधिकार वह स्वतंत्रता है जो समाज व्यक्ति को उसके नैतिक विकास के लिए प्रदान करता है।”


👉 प्र.3. हेरॉल्ड जोसेफ लैस्की के अनुसार अधिकार क्या हैं?

. लैस्की के अनुसार  “अधिकार वे सामाजिक शर्तें हैं जिनके बिना व्यक्ति का नैतिक और व्यक्तित्वगत विकास असंभव है।”

उन्होंने अधिकारों को समाज की देन माना और कहा कि ये व्यक्ति के सर्वांगीण विकास के लिए आवश्यक हैं।


👉प्र.4. अधिकारों की प्रकृति क्या है?


.    1. नकारात्मक अधिकार

2. सकारत्मक अधिकार


👉प्र.5. अधिकारों के प्रकार बताइए।

. 1. प्राकृतिक अधिकार

2. नैतिक अधिकार

3. कानूनी अधिकार

4. नागरिक अधिकार

5. राजनीतिक अधिकार

6. आर्थिक अधिकार

7. सामाजिक अधिकार

8. सांस्कृतिक अधिकार


👉 प्र.6. नकारात्मक और सकारात्मक अधिकार में क्या अंतर है?

. नकारात्मक अधिकार: राज्य से हस्तक्षेप न करने की स्वतंत्रता (जैसे – अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता)।

सकारात्मक अधिकार: राज्य से सहायता या सुविधा प्राप्त करने का अधिकार (जैसे – शिक्षा का अधिकार)।


👉 प्र.7. नागरिक अधिकार क्या हैं?

. नागरिक अधिकार वे हैं जो व्यक्ति को समाज में समानता, स्वतंत्रता और न्याय के साथ जीवन जीने की सुविधा देते हैं।

उदाहरण: समानता का अधिकार, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, न्याय का अधिकार।


👉प्र.8. राजनीतिक अधिकार क्या हैं?

. राजनीतिक अधिकार वे हैं जो नागरिकों को शासन में भाग लेने का अवसर प्रदान करते हैं।

उदाहरण: मतदान का अधिकार, चुनाव लड़ने का अधिकार, जनमत व्यक्त करने का अधिकार।


👉 प्र.9. आर्थिक अधिकार क्या हैं?

. आर्थिक अधिकार व्यक्ति की जीविका, रोजगार और आर्थिक सुरक्षा से संबंधित हैं।

उदाहरण: काम का अधिकार, उचित मजदूरी पाने का अधिकार, संपत्ति का अधिकार।


👉 प्र.10. सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकार क्या हैं?

सामाजिक अधिकार: समाज में समानता, सुरक्षा और सम्मानपूर्वक जीवन जीने की स्वतंत्रता (जैसे – शिक्षा और स्वास्थ्य का अधिकार)।

सांस्कृतिक अधिकार: अपनी भाषा, धर्म और परंपराओं को सुरक्षित रखने का अधिकार।



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