समानता (Equality)
समानता का अर्थ है – बिना किसी भेदभाव (जाति, धर्म, लिंग, भाषा, क्षेत्र, रंग, धन, पद आदि) के सभी को समान अधिकार, अवसर और सम्मान मिलना।
यह एक सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक व्यवस्था का मूल सिद्धांत है, जिसमें किसी को ऊँच–नीच या भेदभाव का सामना न करना पड़े।
समानता के प्रकार
1. सामाजिक समानता (Social Equality)
सामाजिक समानता का अर्थ है समाज में सभी को समान दर्जा और सम्मान मिलना। इसमें
जाति, धर्म, लिंग, भाषा, रंग, संस्कृति आदि के आधार पर किसी के साथ किसी भी प्रकार का भेदभाव नही होना चाहिए।
उदाहरण: छुआछूत , महिला-पुरुष, उच्च- निम्न आदि के आधार पर भेदभाव नही होना।
सामाजिक समानता का मतलब है – समाज में सबको बराबरी से जीने, सीखने और आगे बढ़ने का अधिकार बिना किसी भेदभाव के मिलना ।
2. राजनीतिक समानता (Political Equality)
राजनीतिक समानता का अर्थ है कि प्रत्येक नागरिक को राज्य की राजनीतिक गतिविधियों में भाग लेने का समान अधिकार मिले।
इसमें सभी को समान मतदान का अधिकार, चुनाव लड़ने का अवसर, और सरकार की नीतियों पर अपनी राय व्यक्त करने की स्वतंत्रता शामिल होती है।
राजनीतिक समानता की मुख्य विशेषताएँ
A. एक व्यक्ति, एक वोट, एक मूल्य – हर नागरिक का वोट समान महत्त्व रखता है, चाहे वह अमीर हो या गरीब,पुरुष हो या महिला, पढ़ा-लिखा हो या अनपढ़ ।
B. समान अधिकार – सभी नागरिकों को संविधान द्वारा समान राजनीतिक अधिकार दिए जाते हैं, जैसे मतदान का अधिकार, चुनाव लड़ने का अधिकार आदि।
भारत में हर नागरिक को (संविधान और कानून में तय योग्यताओं के आधार पर) कोई भी चुनाव लड़ने का अधिकार प्राप्त है ।
C. भेदभाव का अभाव – जाति, धर्म, लिंग, भाषा या संपत्ति के आधार पर किसी के साथ भेदभाव नहीं किया जाता।
D. लोक भागीदारी का अवसर – हर नागरिक को राजनीति में भाग लेने, राय रखने और अपनी बात कहने का समान अधिकार होता है।
E. कानून के सामने समानता – हर व्यक्ति कानून की नज़र में समान है; छोटे-बड़े सभी नागरिकों के लिए एक ही कानून लागू होते हैं।
F. समान राजनीतिक अवसर – कोई भी व्यक्ति योग्य होने पर चुनाव लड़ सकता है और जनप्रतिनिधि बन सकता है।किसी भी नागरिक को राजनीतिक अवसरों से वंचित नहीं किया जा सकता।
3. आर्थिक समानता (Economic Equality)
आर्थिक समानता का मतलब है समाज में सभी लोगों को आर्थिक अवसरों और सामाजिक साधनों तक न्यायपूर्ण और समान पहुँच मिलना। इसमें यह सुनिश्चित किया जाता है कि किसी के साथ धन, संपत्ति, पेशा या आय के आधार पर भेदभाव न हो।
आर्थिक समानता की मुख्य विशेषताएँ:
A. आवश्यकताओं की पूर्ति – देश के सभी नागरिकों को भोजन, वस्त्र, आवास, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सुविधाएँ मिलें।
B. समान अवसर – रोजगार और व्यवसाय में सभी को समान अवसर मिले।
C. शोषण का अभाव – किसी भी व्यक्ति को आर्थिक रूप से कमजोर होने के कारण शोषित न किया जाए।
D. धन का न्यायपूर्ण वितरण – अमीर और गरीब के बीच की खाई को कम करने के लिए सरकार नीतियाँ बनाए।
E. सामाजिक सुरक्षा – बेरोज़गार, बीमार, वृद्ध और विकलांग व्यक्तियों को राज्य सहायता उपलब्ध कराए।
F. न्यायपूर्ण मजदूरी – काम के अनुसार उचित वेतन और सम्मान मिले।
4. नागरिक समानता (Civil Equality)
नागरिक समानता का मतलब है कि हर व्यक्ति को समाज और राज्य में बराबरी का दर्जा मिले, और किसी के साथ अन्याय या भेदभाव न हो।
राज्य के सभी नागरिक कानून और अधिकारों की दृष्टि से समान हों। किसी के साथ जाति, धर्म, भाषा, लिंग, नस्ल, रंग या जन्म के आधार पर भेदभाव न किया जाए।
5. लैंगिक समानता (Gender Equality)
महिला और पुरुष दोनो को समान अवसर और अधिकार मिलना।
शिक्षा, रोजगार, संपत्ति के अधिकार और निर्णय लेने की दशा में लिंग के आधार पर भेदभाव नहीं होना चाहिए। लैंगिक समानता के कारण ही आज भारत में विभिन्न पदों पर महिलाएं पुरुषों के साथ कदम मिला कर देश के विकाश में योगदान कर रही हैं।
6. शैक्षिक समानता (Educational Equality)
सभी वर्गों और समुदायों को शिक्षा का समान अवसर मिलना। गरीबी, लिंग, जाति या अन्य किन्हीं कारणों से किसी को शिक्षा से वंचित नही किया जाना चाहिए।
निष्कर्ष :
समानता का उद्देश्य समाज में न्याय, स्वतंत्रता और बंधुत्व स्थापित करना है।
भारतीय संविधान में समानता को विशेष महत्व दिया गया है, ताकि कोई भी नागरिक किसी भी आधार पर भेदभाव का शिकार न हो ।
समानता का अधिकार (Right to equality)
समानता का आधिकार भारतीय संविधान में वर्णित मौलिक अधिकारों में से एक है।भारत में सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक न्याय स्थापित करने के लिए भारतीय संविधान में अनुच्छेद 14 से 18 तक समानता के अधिकारों के उल्लेख किया गया है जिसका विस्तृत वर्णन निम्नवत है।
समानता का अधिकार (अनुच्छेद 14 से 18 )
1. अनुच्छेद 14 – समानता का अधिकार (Right to Equality before Law)
कानून की नज़र में सभी बराबर हैं अर्थात देश के समस्त नागरिकों के लिए समान कानून की व्यवस्था की गई है,
किसी व्यक्ति को उसके धर्म, जाति, लिंग, भाषा, पद या संपत्ति के आधार पर विशेष लाभ या हानि नहीं दी जाएगी।
उदाहरण: यदि अपराध एक सामान्य नागरिक करे या कोई मंत्री करे – दोनों पर एक ही कानून लागू होगा।
👉यद्यपि अनुच्छेद 14 का मतलब है कि हर किसी के साथ बिल्कुल एक जैसा व्यवहार होगा। परंतु राज्य अलग-अलग वर्गों (classes) के बीच अंतर कर सकता है, लेकिन वह भेदभाव तार्किक और उचित होना चाहिए।
उदाहरण:
▶️महिलाओं और बच्चों को विशेष सुरक्षा देना।
▶️आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को आरक्षण देना।
▶️कर (Tax) की दरें आय के हिसाब से अलग-अलग रखना।
2. अनुच्छेद 15 – भेदभाव का निषेध (Prohibition of Discrimination)
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 15(1) के अनुसार, राज्य किसी भी नागरिक के साथ धर्म, जाति, लिंग, जन्मस्थान या भाषा के आधार पर भेदभाव नहीं करेगा।
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 15(2) के अनुसार
शिक्षा और सार्वजनिक स्थलों (जैसे कुएँ, तालाब, सड़क, विद्यालय, मनोरंजन के सार्वजनिक स्थानों ,) में सभी को समान अधिकार प्राप्त है।
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 15(3&4) राज्य को विशेष अधिकार देता है कि वह महिलाओं, बच्चों और पिछड़े वर्गों (SC, ST, OBC) के लिए आरक्षण और विशेष सुविधा का प्राविधान कर सकता है।
3. अनुच्छेद 16 – समान अवसर का अधिकार (Equality of Opportunity in Public Employment)
सरकारी नौकरियों और पदों पर सभी नागरिकों को समान अवसर मिलेगा। धर्म, जाति, लिंग, जन्मस्थान आदि के आधार पर कोई भेदभाव नहीं होगा।
🔹परंतु अनुच्छेद 16(3) के अनुसार संसद कोई ऐसा कानून बना सकती है, जिसमें किसी विशेष क्षेत्र में नौकरी के लिए किसी विशेष क्षेत्र के निवासी होने की शर्त रख सकती है।
🔹 अनुच्छेद 16(4) के अनुसार राज्य पिछड़े वर्गों, SC/ST या शारीरिक रूप से अक्षम लोगों को आरक्षण दे सकता है।
4. अनुच्छेद 17 – अस्पृश्यता का उन्मूलन (Abolition of Untouchability)
छुआछूत को पूरी तरह गैर-कानूनी और अपराध घोषित किया गया है।
किसी को छुआछूत के आधार पर मंदिर, स्कूल, अस्पताल या अन्य स्थान से वंचित नहीं किया जा सकता।
संसद ने अस्पृश्यता अपराध अधिनियम 1955 के तहत अस्पृश्यता को दण्डनीय बना दिया है । बाद में 1976 में इसको संशोधित करके सिविल अधिकार संरक्षण अधिनियम 1976 बनाया गया।इसका उल्लंघन करने पर दंड का प्रावधान है।
5. अनुच्छेद 18 – उपाधियों का अंत (Abolition of Titles)
राज्य द्वारा किसी नागरिक को "राजा", "रायबहादुर", "सर", "नवाब" जैसी उपाधियाँ नहीं दी जाएँगी।
भारत के नागरिक विदेशी देशों से भी उपाधि स्वीकार नहीं कर सकते।
केवल शैक्षिक और सैन्य उपाधियाँ (जैसे डॉक्टर, प्रोफेसर, मेजर, कर्नल) मान्य हैं।
निष्कर्ष :
इन अनुच्छेदों का उद्देश्य है कि भारत में सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक न्याय स्थापित हो, और हर नागरिक को समान अवसर व सम्मान मिले।
ता से जुड़े प्रश्न और उत्तर से जुड़े प्रश्न और उत्तर प्रश्न
समानता से जुड़े प्रश्न और उत्तर
प्रश्न 1. समानता का अर्थ क्या है?
उत्तर: समानता का अर्थ है – सभी व्यक्तियों को बिना किसी भेदभाव के समान अवसर, अधिकार और कर्तव्य प्रदान करना।
प्रश्न 2. भारतीय संविधान में समानता का अधिकार किस अनुच्छेद में दिया गया है?
उत्तर: अनुच्छेद 14 से 18 में समानता का अधिकार वर्णित है।
प्रश्न 3. अनुच्छेद 14 क्या कहता है?
उत्तर: अनुच्छेद 14 कानून के समक्ष समानता तथा कानून का समान संरक्षण प्रदान करता है।
प्रश्न 4. अनुच्छेद 15 किससे संबंधित है?
उत्तर: अनुच्छेद 15 धर्म, जाति, लिंग, जन्मस्थान या किसी आधार पर भेदभाव को प्रतिबंधित करता है।
प्रश्न 5. समानता के अधिकार को लागू करने का उद्देश्य क्या है?
उत्तर: इसका उद्देश्य है – समाज में न्याय, सामाजिक समरसता और सबको समान अवसर सुनिश्चित करना।
प्रश्न 6. क्या समानता का अर्थ सभी के लिए एक जैसी परिस्थितियाँ बनाना है?
उत्तर: नहीं, समानता का अर्थ है – प्रत्येक को उसकी आवश्यकताओं और क्षमताओं के अनुसार समान अवसर और अधिकार देना, न कि सबको एक जैसा बनाना।
प्रश्न 7. अनुच्छेद 17 किससे संबंधित है?
उत्तर: अनुच्छेद 17 छुआछूत को समाप्त करता है और इसे अपराध घोषित करता है।
प्रश्न 8. समानता के अधिकार का उल्लंघन होने पर व्यक्ति कहाँ जा सकता है?
उत्तर: व्यक्ति न्यायालय (High Court या Supreme Court) में संवैधानिक उपाय हेतु जा सकता है।
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